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जामिया अरबिया क़ासिम उल उलूम कांधला

इल्म जिन कुलूब में जगह बनाता है, जिन बस्तियों को मरकज़ के तौर पर अपनाता है और उस की तालीम व ताल्लुम के लिए जिन अफराद का इन्तिख़ाब करता है, यक़ीनी तौर पर वह कुलूब, बिस्तयां और वह अफरात अल्लाह की तरफ से मुन्तख़ब किये जाते हैं, इस लिए कि इल्म अल्ला का नूर है और अल्लाह का नूर वहीं समा सकता है और जगह बना सकता है जहां अल्लाह तआला ने खुद उस की गुंजाइश पैदा फरमायी हो, और एक एैसा माहोल पहले से तय्यार कर दिया हो जहां इल्म की जड़ें पकड़ सकें और सुफ्फा से चली हुई वह अज़ीमुश्शान और बाबरकत रिवायत व तारीख़ जो ज़ाते नबवी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम से मनसूब है वह दुनिया के जिस गोशा और जिस हिस्से में पहुंचे उस का इमतियाज़ हर सूरत में बाक़ी और तारीफ के क़ाबिल है।

     

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जामिया आइशा लिल बनात

अकबिरीन के इरशाद से मालूम होता है की निस्वां की किस क़दर अहमियत और ज़रूरत है अगर उम्मत के निस्वां तबके में इल्मी तलब, इल्मी तरीका, तालीम व तआलुम और अख़लाक़ी व दीनी तरबियत का माहोल ख़त्म हो गया तो ये उम्मत बाँझ हो जाएगी, और इसने माज़ी में जो रजालकार, सल्फ सालिहीन, उलमा रब्बानीन, मुस्लिहीन कायेदीन, मकबुलीन, बारगाहे इलाही और अल्लाह के महबूब बन्दे पैदा किये वो फिर पैदा नही हो सकते, अल्लाह तआला तो क़ादिर है, मगर अल्लाह की सुन्नत यही है के बच्चे की सख्तो परदखत, उस की ...

     

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मदरसे की हक़ीक़त

  मुफक्किरे इस्लाम हज़रत मौलाना सय्यद अबुलहसन अली नदवी रह0
मदरसा सब से बड़ी कारगाह है, जहां आदम गिरी और मदरदुम साज़ी का काम होता है। जहां दीन की दाई, इस्लाम के सिपाही तय्यार होते हैं। मदरसा इस्लाम का बजली घर (यानि पावर हाऊस है) जहां से इस्लाम आबादी बल्कि इंसानी आबादी में बिजली तक़सीम होती है। मदरसा वह कारख़ाना है जहां क़ल्ब व निगाह और ज़हन व दिमाग़ ढलते हैं, मदरसा व मक़ाम है जहां से पूरी कायनात का ऐहतसाब होता है और पूरी इंसानी ज़िन्दगी की निगरानी की जाती है। जहां का फरमान दरे आलम ...

     

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