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1). मुस्ल्मि बच्चों के लिए दीनी तालीम के साथ असरी तालीम के ज़ेरे तालीम स्कूल की तकमील
2). मुस्लिम बच्चों की दीनी तालीम के ज़ेरे तालीम के लिए ज़ेरे तालीम जामिया आयशा लिलबनात की तकमील
3). तामीर लाएब्रेरी और दारुल मतालिआ
4). तामीर दारुल मुदर्रिसीन
5). तामीर डाइनिंग हाल।
जामिया क़ासिमुल उलूम की कोई मुस्तक़ल जायदाद, दुकानें या ज़मीन व बाग़ात वग़ैरा नहीं हैं। जिस के ज़रिए जामिया हाज़ा के इख़राजात पूरे किये जा सकें बल्कि जामिया का कुल सरमाया आमदनी तवक्कल अलल्लाह है। खुदा वहदहू ला शरीक अहले ख़ैर हज़रात के कुलूब को मुतवज्जह कर देते हैं। वह इस तालीमी व तामीरी अपना माली तआवुन पेश करते हैं। इस तरह तमाम इख़राजात पूरे होते हैं।
1). अतियात, ज़कात, सदक़ाए फित्र, चर्म कुर्बानी
2). कुतुब ख़ाने के लिए दर्सी व ग़ैर दर्सी किताबें
3). एक या ज़ायद तलबा की सालाना किफालत
4). जामिया की तामीरात मेकं एक या चन्द कमरों का ख़र्च
5). मरहूमीन के ईसाले सवाब के लिए तामीरी कामों में कुछ हिस्सा लेना
6). जामिया के तहत होने वाले दीगर ख़ास कामों में किसी क़िस्म की शिरकत करना
7). माहाना वज़ीफा जारी कर के
8). एक मुदर्रिस की तनख़्वाह अदा कर के
9). एक वक़्त तलबा की दावत कर के
10). तलबा के लिए राशन के सामान के ज़रिए तआवुन
जो हज़रात बराहे रास्त जामिया क़ासिम उल उलूम के मंसूबों की तकमील और तरक्क़ियात में शरीक होने के लये अपने अतियात व ज़कात और सदक़ात की रुकूम इरसाल करना चाहते हैं वो या तो अपने हलके में पहुंचे हुए सुफरा को रुकुम दे कर रसीद हासिल कर सकते हैं या फिर बराहे रास्त इदारे को मनिआडर, चैक, या ड्राफ्ट के ज़रिये अपनी रुकुम इरसाल कर सकते हैं उसूलयाबी के बाद इंशा अल्लाह रसीद इरसाल कर दी जायेगी
चैक और ड्राफ्ट पर सिर्फ मदरसा क़सीम उल उलूम तहरीर फरमाएं